All you need to know about Estate and Succession Planning
If you own a business, or you are a high net worth individual, you would want your business and assets to stay within the family after your demise. Given the complicated process of money management, there is always a possibility that your family might lose the ownership of your assets, creating a financial mess. Hence, for efficient transfer of assets, it is crucial to have an estate and succession plan.
What is Estate and Succession Planning?
Estate and succession planning is the process of
organizing your assets to achieve seamless intergenerational wealth transfer and other objectives, during your lifetime and beyond.
Planning for harmonious succession and disposition of your assets
Protection of your assets/estate with your family’s needs in mind
Preparing your estate for unforeseen eventualities
What happens if there is no Estate plan?
If there is no estate plan, the succession or transfer of assets still takes place but follows the legal procedure mentioned in different succession laws. For e.g.:
Hindu Succession Act, 1956.
Muslim succession law/ Sharia’h Law.
Christians Succession law
Parsi Succession Act
Common Tools of Estate and Succession Planning
Nomination: The estate owner nominates a person who would get ownership of the assets, once the estate owner passes away.
Gifting: The estate owner gifts the assets to whomever he/she deems fit.
Will: The estate owner draws a legal document mentioning the terms and conditions for the transfer of assets in his/her absence.
Trust: An estate owner gives the ownership of assets to a trustee who is held responsible for providing regular benefits to a third party called the beneficiaries.
Will
Will: is final declaration of a person’s intentions with respect to his property which the courts endorse only after his death.
A Will may not be able to take care of unforeseen eventualities which include incapacitation, false claims or disputes.
A Probate may be required in certain states for establishing the rights of the beneficiaries under the Will.
Will should be executed in presence of two witnesses, doctor’s certificate and may also be registered for extra caution
Trust
Creating a legal framework for the family assets, bypassing probate process, safe-guarding interests of family members including maintenance of members with special needs/disabilities, attaching conditions to gifts (be it on attaining a particular age or fulfilment of the Settlor’s wishes) and avoiding family disputes over the property being some of the prime considerations while designing a Family Trust.
A trust is an arrangement under which the settlor entrusts his property to the trustees, who hold it for the benefit of the beneficiaries. The basic constituents of a trust are transmutation of trust property, declaration of the purpose and the beneficiaries Trustee is the individual or Professional company designated to hold and administer Trust property. The Trustee has a fiduciary duty towards the beneficiaries. If the Settlor thinks that the trustee would require some supervision, he/she appoints a Protector to protect the beneficiaries.
The Creation/settlement of a Trust is done through a document call Trust deed which contains terms under which the trust property must be managed and distributed.
Benefits of Making a Trust
During the lifetime of the estate owner:
Asset preservation
Asset consolidation
Securing assets
Segregation
Protection of business
After the lifetime of the estate owner
Hassle free transfer
Controlling ends of funds
Minimal transfer costs
No family disputes
Special needs/ family members
एस्टेट और ससेशन प्लानिंग को आसानी से समझिये
अगर आप खुद एक व्यापारी हैं या आपकी नेट वर्थ बहुत ज्यादा है तो आप हमेशा चाहेंगे की आपकी मृत्यु की बाद आपकी एस्टेट आपके परिवार के साथ ही रहे। क्योंकि आपके एसेट की सार संभाल करने का कार्य बहुत कॉम्प्लिकेटेड है, यह मुमकिन है की आपका परिवार एसेट की ओनरशिप से वंचित भी रह जाए ,जिससे भविष्य मे उनको परेशानियाँ झेलनी पड़ सकती है। इस लिए ये बहुत ज़रूरी है की आप अपनी मौजूदगी में ही सही ढंग से एसेट का ट्रांसफर कर दें और ये भी ज़रूरी है की आगे आने वाली पीढ़ी के लिए एसेट सँभालने का प्लान भी आप तैयार करके जाएँ।
एस्टेट एन्ड ससेशन प्लानिंग एक ऐसी प्रोसेस है:
जिससे आप अपने एसेट आसानी से आगे आने वाली पीढ़ी में बाँट सके, आपका वेल्थ ट्रांसफर ना सिर्फ आपकी मौजूदगी में आसान रहे पर आपके ना होने पर भी सही ढंग से हो पाए।
एसेट को आगे अपने परिवार में बांटना या उसे डिस्पोस करने में आसानी
अपने एसेट की परिवार की ज़रूरतों को ध्यान में रख कर सुरक्षा करना
अपने एस्टेट को किसी भी आगे आने वाली परेशानी से बचाने के लिए
क्या होता है जब कोई एस्टेट प्लान नहीं होता ?
जब कभी किसी भी कारण से एस्टेट प्लान नहीं होता है तब भी एसेट का ट्रांसफर तो होता ही है बस उस समय क़ानूनी रास्ता अपनाना होता है जो कुछ इस प्रकार है:
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम,
मुस्लिम शरिया अधिनियम
्रिस्टन सक्सेशन एक्ट
पारसी सक्सेशन एक्ट
सक्सेशन प्लानिंग करने के साधन:
नॉमिनेशन: एस्टेट के ओनर एक या एक से ज्यादा लोगो को नॉमिनेट करते हैं जो एसेट के मालिक बन सकते हैं, एस्टेट के मूल मालिक की मृत्यु के बाद।
गिफ्टिंग: एस्टेट के ओनर अपनी मर्ज़ी से एसेट किसी को भी दे सकते हैं।
वसीयत: एस्टेट के मालिक क़ानूनी कागज़ का सहारा लेते हैं जिसमें एसेट के विभाजन के टर्म्स एंड कंडीशन लिखित में मौजूद रहते हैं, ये ओनर की गैर मौजूदगी में काम आता है।
ट्रस्ट: एस्टेट ओनर एसेट की ओनरशिप किसी ट्रस्टी को दे देता है, जो एसेट से हुए लाभ को ट्रस्ट के बेनेफिशरी में बांटने का काम करता है।
वसीयत:
वसीयत:किसी भी इंसान की अपनी प्रॉपर्टी के सम्बंध में करी गयी अंतिम घोषणा को उसकी वसीयत कहा जाता है, ये उसके मरने के बाद कोर्ट में माना जाता है। वसीयत किसी भी अनदेखी समस्या जैसे अशक्तता, गलत दावे या विवाद के समय काम नहीं आ सकती। वसीयत बनाते वक़्त एक प्रोबेट का होना भी कई राज्यों में ज़रूरी है, जो वसीयत बनाने के समय होने वाली कार्यवाही का ध्यान रख सके। इसके अलावा वसीयत बनाने के समय दो विटनेस, एक डॉक्टर का मेडिकल सर्टिफिकेट होना भी अनिवार्य है।
ट्रस्ट:
परिवार के एसेट के लिए क़ानूनी फ्रेमवर्क बनाना, प्रोबेट प्रोसेस को बाईपास करके आगे निकलने,
परिवार के इंटरेस्ट को सुरक्षित करना और उनको संभालना, उनकी हर ज़रूरत को पूरा करना और किसी
डिसेबिलिटी के समय उनका ज्यादा ध्यान रखना, उनको मिलने वाले उपहार पर शर्ते लगाना ( जैसे इस उम्र
के हो जाने पर गिफ्ट का हक़दार मिलना या सेटलर की मर्ज़ी के हिसाब से) और एसेट के कारण होने वाले
पारिवारिक झगड़ों से कैसे बचाया जाये, ये ट्रस्ट बनाते वक़्त सबसे ज्यादा ध्यान में रखा जाता है।
ट्रस्ट एक व्यवस्था है जिसमे सेटलर अपनी प्रॉपर्टी उसके विश्वास के लोगों को जिनको वो ट्रस्टी कहता है,
उनको सौंप देता है जो सेटलर के ना होने पर ट्रस्ट से लाभ उठाने वाले बेनफिशरी का ध्यान रखता है। ट्रस्ट के
दो मुख्य काम होते हैं: ट्रांसम्यूटेशन और बेनफिशरी के उद्द्येश्यों की घोषणा करना।
ट्रस्टी एक सामान्य नागरिक या एक कंपनी हो सकती है, जो ट्रस्ट की प्रॉपर्टी की सार- संभाल कर सके।
ट्रस्टी की अनवार्य ड्यूटी होती है ट्रस्ट के बेनफिशरी की तरफ। अगर सेटलर को लगता है की ट्रस्टी को ट्रस्ट
संभालने के लिए किसी की ज़रूरत हो सकती है, तो वो एक प्रोटेक्टर नियुक्त कर सकते हैं, जो की
बेनफिशरी की सुरक्षा करता है ।
ट्रस्ट बनाने के फायदे:
एस्टेट ओनर की मौजूदगी में होने वाले फायदे:
एसेट प्रिजर्वेशन
एसेट कंसोलिडेशन
सेक्यूरिंग एसेट्स
सेग्रिगेशन
व्यवसाय की सुरक्षा
एस्टेट ओनर के मरणोपरांत
आसानी से ट्रांसफर
फंड्स का कण्ट्रोल
कम ट्रांसफर कॉस्ट
पारिवारिक कलेश से राहत
परिवार के किसी सदस्य की विशेष ज़रूरत के लिए
इस्टेट आणि सक्सेशन प्लानिंगविषयी महत्त्वाची माहिती
जर तुम्ही कोणी बिझनेसमेन असाल किंवा हाय नेटवर्थ इंडीवीज्युअल असाल तर स्वाभाविक आहे कि तुम्हाला अशी इच्छा असेल कि तुमच्या मृत्यूनंतर पण तुमचा बिझनेस आणि तुमची एसेटस तुमच्या परिवाराकडे रहावी. मनी मेनेजमेंट हि एक अशी किचकट प्रक्रिया आहे कि ज्यामुळे तुमचा परिवार तुमच्या एसेटची मालकी गमवू शकतो, आणि ह्यापासून खूप फीनंसिअल प्रोब्लेम्स सुरु होतात. म्हणूनच, एसेटस व्यवस्थितपणे योग्य व्यक्तीला ट्रान्स्फर होण्यासाठी इस्टेट आणि सक्सेशन प्लान असणे खूपच आवश्यक आहे.
इस्टेट एंड सक्सेशन प्लान म्हणजे नेमके काय असते?
इस्टेट एंड सक्सेशन प्लानिंग हि, तुमची फायनान्शियल आणि नोन-फायनान्शियल एसेटसला, एक प्रभावी, कायदेशीर आणि योग्य रस्त्याने अशी ओर्गेनाइज़ करावी कि ज्यामुळे तुमच्या एसेट तुमच्या उपस्थिती मध्ये आणि अनुपस्थितीत तुमची पिढी दरपिढी पर्यंत कोणत्याही अडचणी शिवाय पोचेल.
एसेटची योग्य प्रकारे डिसपोसिशन योजना करणे
कुटुंबीयांची गरज लक्षात घेउन तुमची एसेट/ इस्टेट सुरक्षित करणे
तुमच्या इस्टेट आकस्मिक घटनाक्रमासाठी तयार करणे
जर इस्टेट प्लान नसेल तर काय होईल ?
जर इस्टेट प्लान नसेल तरीही एसेटचे सक्सेशन आणि ट्रान्स्फर होतच असते, पण ती खाली दाखविलेल्या वेगवेगळ्या सक्सेशन लॉ मध्ये दाखववलेल्या कायदेशीर प्रक्रिया प्रमाणे होत असते:
हिंदू सक्सेशन एक्ट, १९५६
मुस्लिम सक्सेशन लॉ / शरीया लॉ
क्रिस्चियन सक्सेशन लॉ
पारसी सक्सेशन एक्ट
इस्टेट आणी सक्सेशन प्लानिंग चे टूल्स
नॉमिनेशन: एसेटचा ओनर एक व्यक्तीला किंवा एकापेक्षा जास्त माणसांना नोमिनेट करू शकतो. ह्या लोकांना मालकाच्या मृत्यू झाल्यानंतर इस्टेटची ओनरशिप भेटते.
गिफ्ट: इस्टेट ओनर स्वतःच्या इच्छेप्रमाणे कोणालाही इस्टेट गिफ्ट म्हणून देऊ शकतो.
ट्रस्ट: एसेटचा ओनर, एसेटची मालकी एक ट्रस्टीला देतो, जो एसेटमधून येणाऱ्या रेग्युलर बेनिफि्स, बेनिफिशियरी म्हणून ओळखल्या जाणार्या तिसऱ्या व्यक्तीला देण्यासाठी जवाबदार असतो.
विल: एसेटचा मालक स्वतःच्या अनुपस्थितीमध्ये एसेटच्या ट्रान्स्फरसाठीची टर्म्स एंड कंडीशन्स दाखवणारी लीगल डोक्युमेंट बनवतो.
विल:
विल हा एका व्यक्तीद्वारा स्वतःची प्रोपर्टी विषयीची इच्छा दाखविणारे डोक्युमेंट आहे. ज्याला कोर्ट त्याच्या मृत्यूनंतरच इंडोर्स करते. विल कदाचित दावे आणि भांडणाच्या अनपेक्षित बनावाला सांभाळू शकत नाही. अशावेळी विलचे बेनिफिशियरीचा हक्क वाचविण्यासाठी प्रोबेटची गरज पडते. विल बनविण्याचे फायदे आणि नुकसान
फायदे:
इन्तेस्टेट सक्सेशन रोखू शकतो
विल बनविण्याची प्रोसेस खूप सोपी होऊन जाते
विलला सहजपणे बदलू शकतो आणि रद्द पण करू शकतो
इस्टेट ओनरच्या इच्छा स्पष्टतेणे दाखवली जाते
नुकसान
कायदेशीर वारसांमध्ये तक्रार होऊ शकते
नातेवाईक किंवा कोणती दुसरी लोक हिस्सा मागू शकतात
मृत्यूनंतरचे लांब दस्तावेज
इस्टेट ड्युटी लागण्याचे रिस्क
ट्रस्ट
फेमेली ट्रस्ट बनविण्याचे मुख्य कारण अशे आहेत, फेमिली एसेट करिता लीगल संघटना बनविणे, प्रोबेट
प्रोसेस बायपास करणे, परिवाराच्या सगळ्या व्यक्तींची काळजी घेणे, त्यांच्या विशेष गरजांची चिंता करणे,
गिफ्टिंगमध्ये क्लोज टाकणे (जसे कि, इस्टेट काही वर्ष पूर्ण केल्यानंतरच भेटणार, काही प्रसंग
घडण्यानंतरच भेटणार) आणि परिवारामध्ये होणाऱ्या सगळ्या वादविवादांना रोखण्यासाठी.
ट्रस्ट बनवितांना, सेटलर स्वतःची प्रोपर्टी ट्रस्टीला सुपूर्त करतो, आणि ट्रस्टी बेनिफिशीयरीसाठी त्या
प्रोपर्टीची काळजी घेतो. ट्रस्ट ह्या संकल्पनेमध्ये ३ मुख्य घटक आहेत, प्रोपर्टीचा ट्रान्सफर, ट्रस्ट बनविण्याचा
हेतू, आणि बेनिफिशीयरीझ.
सेटलरकडे सर्वात जास्त ऑथोरीटी असते. सेटलर टर्म्स एंड कंडीशन्स ठरवतो, ट्रस्टीचीपण (ज्या माणसाकडे
इस्टेट ओनरशिप देण्यात येते तो)ची नेमणूक करतो, आणि बेनिफिशीयरी (ज्यांच्या करिता ट्रस्ट बनविले
आहे ती लोक, बहुतेक हि लोक फेमेलीतलीच असतात) नेमणूक करतो. ह्या तिन्ही पार्टीच्या संमतीनेच ट्रस्ट
डीड बनविण्यात येते आणि ती ट्रस्ट डीड संपूर्ण ट्रस्ट वर नियंत्रण ठेवते आणि कोणत्याही कंडीशनला सेटल
करते.
ट्रस्टीचा बेनिफिशीयरीसाठी कर्तव्य बनतो. जर सेटलरला अस वाटलं कि ट्रस्टीवर निरीक्षणाची गरज आहे
तर सेटलर बेनिफिशीयरीच्या हितासाठी एका माणसाची प्रोटेक्टर म्हणून नेमणूक करतो.
ट्रस्ट बनविण्याचे फायदे
ओनर जिवंत असताना होणारे फायदे:
एसेट प्रीझर्वेशन
एसेट कंसोलीडेशन
सर्व एसेट सुरक्षित होऊन जातात
एसेटसला केटेगरीच्या अनुसार वेगळे ठेवू शकतात
बिझनेसची सुरक्षा
टओनरच्या मृत्यूनंतर सुद्धा होणारे फायदे
कोणत्याही प्रकारच्या भांडणाविना होणारे इस्टेट ट्रान्स्फर
फंड्स वर संपूर्ण कंट्रोल
कमीत कमी ट्रान्स्फर खर्च
परिवारात कोणत्याही प्रकारचे भांडण नाही
कोणत्या फेमेली मेम्बरची कोणती विशेष गरज असेल त्याला पूर्ण करू शकता
ઍસ્ટેટ એન્ડ સક્સેશન પ્લાનિંગ વિશે અગત્યની જાણકારી
જો તમે કોઈ બીઝનેસમેન અથવા હાઈ નેટવર્થ ઈન્ડીવિજ્યુઅલ હોવ, તો સ્વાભાવિક છે કે તમને એવી ઈચ્છા હોય કે તમારા મૃત્યુ પછી પણ તમારો બીઝનેસ અને તમારી ઍસૅટ્સ તમારા પરિવાર પાસે રહે. મની મૅનેજમૅન્ટ એક એવી અટપટી પ્રક્રિયા છે, કે ઘણીવાર તમારો પરિવાર તમારી ઍસૅટ્સની માલિકી ગુમાવી બેસે. અને આથી ઘણી બધી ગરબડો શરુ થાય છે. માટે જ, ઍસૅટ્સ બરાબર રીતે યોગ્ય વ્યક્તિને ટ્રાન્સફર થઇ શકે તે માટે ઍસ્ટેટ એન્ડ સક્સેશન પ્લાન હોવો ખુબ આવશ્યક છે.
ઍસ્ટેટ એન્ડ સક્સેશન પ્લાનિંગ શું છે?
ઍસ્ટેટ એન્ડ સક્સેશન પ્લાનિંગ એટલે:
તમારી ફાઈનાન્શિયલ અને નોન – ફાઈનાન્શિયલ ઍસૅટ્સને એક અસરકારક, કાયદેસર અને સુઘડ રસ્તે એવી રીતે ઓર્ગેનાઈઝ કરવી
તમારી ઍસૅટ્સ તમારી હાજરીમાં અને ગેરહાજરીમાં તમારી પેઢી – દરપેઢી સુધી કોઈ પણ જાતની રોક ટોક વિના પહોંચી શકે.
આ પ્રક્રિયા માત્ર ટેક્સ લાયાબિલીટી ઘટાડવા માટે જ નથી કરવામાં આવતી, પણ ટ્રાન્સફર પ્રોસીજર માં આવતી મુશ્કેલીઓને દુર કરવા માટે પણ ઉપયોગી થઇ પડે છે.
જો ઍસ્ટેટ પ્લાન ન હોય તો શું થાય?
જો ઍસ્ટેટ પ્લાન ન હોય તો પણ ઍસૅટ્સનું સક્સેશન અને ટ્રાન્સફર થાય જ છે, પણ તે નીચે બતાવેલી કાયદાકીય પ્રક્રિયાઓના પ્રમાણે થાય છે:
હિંદુ સક્સેશન એક્ટ, ૧૯૫૬’
મુસલમાન સક્સેશન લૉ / ‘મુસ્લિમ શરિયા’ લૉ
ક્રિશ્ચિયન લો ઓફ સક્સેશન
પારસી સક્સેશન ઍક્ટ
સક્સેશન પ્લાનિંગના સાધનો
નોમીનેશન: ઍસ્ટેટનો માલિક એક વ્યક્તિ અથવા એક કરતા વધારે વ્યક્તિઓને નોમીનેટ કરે શકે છે, આ લોકોને માલિકનું મૃત્યુ થઇ જાય ત્યાર પછી ઍસ્ટેટની માલિકી મળે છે.
ગીફ્ટ: ઍસ્ટેટ ઓનર પોતાની ઈચ્છા પ્રમાણે કોઈને પણ ઍસ્ટેટ ગીફ્ટ તરીકે આપી શકે છે.
વિલ: ઍસ્ટેટનો માલિક, પોતાની ગેરહાજરીમાં એસેટના ટ્રાન્સફર માટેની ટર્મ્સ એન્ડ કંડીશન્સ દર્શાવતું લીગલ ડોક્યુમેંટ બનાવે છે તે.
ટ્રસ્ટ: ઍસ્ટેટનો માલિક એસેટની માલિકી એક ટ્રસ્ટીને આપે છે, કે જે એસેટમાંથી આવતા રેગ્યુલર બેનીફીટસ બેનીફીશીયરી તરીકે ઓળખાતી કોઈક ત્રીજી વ્યક્તિને આપવા માટે જવાબદાર હોય છે.
વિલ
વિલ એક વ્યક્તિ દ્વારા પોતાની પ્રોપર્ટી વિશેની ઈચ્છા જણાવતું ડૉક્યુમેન્ટ છે, જેને કોર્ટ તેના મૃત્યુ પછી જ ઍન્ડોર્સ કરે છે. વિલ કદાચ ખોટા દવા અને ઝગડા ના અનપેક્ષિત બનાવને ન સાચવી શકે. આવા સંજોગોમાં વિલના બેનીફીશીઅરી ના હક્ક બચાવવા માટે પ્રોબેટની જરૂર પડે છે. માટે વિલનું એકસેયુશન બે સાક્ષી, ડોક્ટરના સર્ટિફિકેટ અને રજીસ્ટ્રેશનની સાવધાની સાથે થવું જોઈએ.
ટ્રસ્ટ
ફેમીલી ટ્રસ્ટ બનાવવાના મુખ્ય કારણ છે: ફેમીલી એસેટ માટે લીગલ બંધારણ બનાવવું, પ્રોબેટ પ્રોસેસ બાઈ-પાસ કરવો,
પરિવારના બધા જ સભ્યોની સંભાળ કરવી, તેમની વિશેષ જરૂરતોનું ધ્યાન રાખવું, ગીફટિંગ માં શરતો મુકવી (જેમ કે અમુક
સંજોગો કે ઉંમર પછી જ મળી શકે) અથવા તો પરિવારના ઝગડા અટકાવવા.
ટ્રસ્ટ બનાવતી વખતે સૅટલર પોતાની પ્રોપર્ટી ટ્રસ્ટીને સોંપે છે, અને ટ્રસ્ટીઓ બેનિફિશિયરી માટે પ્રોપર્ટીનું જતન કરે છે. દરેક
ટ્રસ્ટમાં ત્રણ મુખ્ય પાયા છે: પ્રોપર્ટીનું ટ્રાન્સફર, ટ્રસ્ટ બનવાનો હેતુ અને બેનિફિશિયરી.
સેટલર સૌથી વધુ ઓથોરીટી વાળી વ્યક્તિ હોય છે. સેટલર ટર્મ્સ એન્ડ કન્ડીશન્સ નક્કી કરે છે, ટ્રસ્ટી (જે વ્યક્તિને ઍસ્ટેટ ની
માલિકી ટ્રાન્સફર કરવામાં આવે છે તે)ની નિમણુક કરે છે, અને બેનીફીશીયરી (જેઓના ફાયદા માટે ટ્રસ્ટ બનાવવામાં આવે છે
તે, મોટા ભાગે આ વ્યક્તિઓ પરિવારના હોય છે)ની પણ નિમણુક કરે છે. આ ત્રણેય પાર્ટીની (સેટલર, ટ્રસ્ટી અને બેનીફીશીયરી)
સહમતી સાથે ટ્રસ્ટ ડીડ બને છે અને તે ટ્રસ્ટ ડીડ ટ્રસ્ટની ઉપર નિયંત્રણ રાખે છે અને કોઈ પણ કંડીશનને સેટલ કરે છે.
ટ્રસ્ટીની બેનીફીશીયરી પ્રત્યે વિશ્વાસપૂર્ણ ફરજ બને છે. જો સેટલરને લાગે કે ટ્રસ્ટી ઉપર દેખરેખ રાખવાની જરૂર છે, તો સેટલર
બેનીફીશીયરીના હિતોને સાચવવા માટે એક પ્રોટેક્ટરની નિમણુક કરે છે.
ટ્રસ્ટ બનાવવાના ફાયદા
એસેટ પ્રિઝર્વેશન
એસેટ કન્સોલીડેશન
બધી એસેટ સુરક્ષિત થઇ જાય
ઍસૅટ્સને કેટેગરી પ્રમાણે અલગ પાડવી
બીઝનેસની સુરક્ષા
ટઍસ્ટેટ ઓનરના મરણ બાદના ફાયદા
કોઈ પણ પ્રકારના ઝગડા વગર ઍસ્ટેટનું ટ્રાન્સફર
ફંડના છેડા ઉપર પૂરો કંટ્રોલ
ઓછામાં ઓછી ટ્રાન્સફર કોસ્ટ
પરિવારમાં કોઈ પણ પ્રકારના ઝગડા નહિ
કોઈ ફેમીલી મેમ્બરની ખાસ જરૂરીયાત હોય તો તેને પહોંચી પૂરી કરી શકાય