Indian Real Estate on the road to recovery
The Indian real estate market is the second largest employer in the country, while the agriculture sector takes the first place. The real estate sector may have taken a hit due to demonetization and recent government policy decisions, but the industry is well poised to grow in the next 10 years. The Indian real estate market's growth is well complemented by a growing demand for office space and the growth of corporate environment. It remains the most sought-after investment avenue for Indian citizens.
Why Real Estate?
Strong market fundamentals
The last year was bad for the Indian real estate sector in terms of overall valuation due to demonetization and more interference of the government in cash transactions. But because of strong fundamentals, price correction and rising demand in the housing sector, it is very likely that the real estate sector will lead the revival of India economic growth in the coming years.
Regulatory reforms
The introduction of regulatory reforms like RERA and GST in April 2017, coupled with the effects of demonetization have begun to shape up the sector with new standards of accountability, transparency and delivery. These reforms will further have a positive impact on the revival of the Indian real estate sector, resulting in price correction and increasing the investment potential of the sector.
Buyer's market
While demonetization had an adverse affect on the real estate business, it also resulted in slashing land prices, making it a perfect market for new buyers. As the housing sector provides heavy discounts, home loan interest rates are at all-time low. Due to the amendments in the FDI policy by the government, there has been a steady revival of interests from global investment fraternity, too.
Government schemes
Government schemes like PMAY-CLSS and the announcement of 'Housing for All' scheme have also given a boost to the real estate sector. In addition to these schemes, the government has also made affordable housing projects GST exempt. This means that an investor can save a huge amount of tax on real estate investments.
Investment Avenues in Indian Real Estate
You can invest in real estate either through a residential or -commercial property.
Residential real estate
You can invest in the residential real estate by adopting a 'value investing' strategy in ready to move projects. As urban towns have seen an increase in their share from 23% to 29.7% over the last decade and the number of metro cities have risen from 35 to 53, investing in residential properties at present can allow you to earn rental income and higher returns through appreciation. The urbanization growth is likely to reach 50.3% by 2050 as a result of development in India, which will further increase the profit margin in the residential sector.
Commercial real estate
For commercial real estate, the rental value in retail space has risen to 27% in metros only over the last four years, providing higher returns because of rising demand and supply shortfall. Total sales surpassed the 64 lakh crore mark in 2016 and are poised to double in size by 2020. The consumer expenditure is also estimated to increase to 231 lakh crore from the 40 lakh crore in 2017, making it a safe and profitable investment option.
IIFL's contribution towards Real Estate
IIFL AMC and Finance has invested in over 100 transactions and has developed skills for legal, technical and credit due diligence.
IIFL Finance and Housing Finance provide finance for construction and working capital requirements of residential and commercial projects across India.
IIFL Retail Distribution has a strong network across India with 4 million customers across 1,200 locations with the addition of assisting clients in buying and selling of properties across several locations.
IIFL's total loan AUM stands at $3.4 billion with a fast-growing mortgage finance book of Rs11,000cr. More than Rs450cr has been disbursed under PMAY-CLSS scheme in last 2 years.
रियल इस्टेट: नयी ऊंचाइयों की तरफ बड़ती हुई
कृषि उद्योग के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा एम्प्लॉयमेंट देने वाला मार्केट रियल इस्टेट यानि ज़मीन जायदाद का मार्केट है। पिछले कुछ समय में पहले डीमोनिटिज़ेशन के कारण और उसके बाद सरकार की नयी पॉलिसी के तहत रियल इस्टेट के मार्केट में काफी हलचल रही है, हालाँकि अब अगले दस सालों में इस इंडस्ट्री का उपर की तरफ चढ़ना ही तय है। इसका एक बहुत बड़ा कारण ये है की रियल इस्टेट मार्केट में ऑफिस स्पेस की और कारपोरेट कल्चर की डिमांड बढ़ती जा रही है। इसलिए अगले कुछ सालों तक रियल इस्टेट में इन्वेस्टमेंट सबसे सरल और किफायती इन्वेस्टमेंट की तरह देखा जायेगा।
रियल इस्टेट ही क्यों?
मज़बूत फंडामेंटल्स
पिछला साल रियल इस्टेट सेक्टर के लिए काफी ख़राब रहा, नोट बंदी के कारण और बाद में सरकार का नक़द ट्रांसेक्शन को लेकर सतर्क हो जाने के कारण ओवरआल वैल्यूएशन में काफी गिरावट रही। पर चूँकि इस सेक्टर की नींव बहुत ही मज़बूत रही है, हाउसिंग सेक्टर में सही मूल्यांकन और डिमांड में बढ़ोतरी होना लगभग तय है, और इस के चलते अगले कुछ सालों में ये एक इंडस्ट्री हिंदुस्तान की इकॉनमी को बदल के रख देगा।
रेगुलेटरी रिफॉर्म्स
नए रेगुलेटरी रिफॉर्म्स जैसे RERA और GST जो की पिछले साल अप्रैल में लाया गया था उसके आने से मार्केट में एक नया माहौल दिख रहा है। बाजार अब ज्यादा भरोसेमंद और विश्वास करने योग्य हो गया है। सरकार की नयी पॉलिसी के चलते डिलीवरी भी अब बढ़ गयी है, इन सब के कारण ही बाज़ार में पहले से ज्यादा पॉज़िटिव वातावरण है। जो की मार्केट में इन्वेस्टमेंट पोटेंशियल को बड़ा रहे हैं।
खरीददारों का बाज़ार
हालाँकि नोट बंदी के कारण रियल इस्टेट को काफी नुक्सान उठाना पड़ा लेकिन इसके कारण ज़मीन की कीमत में भी गिरावटें आयीं हैं जो नए खरीददारों के लिए बहुत ही बढ़िया मौका है। जिस प्रकार आज ज़मीन और हाउसिंग सेक्टर बढ़िया डिस्काउंट और आज तक के सबसे कम इंटरेस्ट रेट पर होम लोन दे रहा है ये जो की नए खरीददारों को रियल इस्टेट में इन्वेस्ट करने के लिए काफी है। इसके साथ FDI में आये नए बदलावों के बाद, ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फ्रेटर्निटी की भी नज़र बराबर भारीतय रियल ईस्टेट मार्केट पर टिकी हुई है।
गवर्नमटें की स्कीम्स
केंद्र सरकार द्वारा एक के बाद एक स्कीम जैसे पहले PMAY-CLSS और फिर 'Housing for All' (सबके लिए घर) स्कीम की घोषणा करना रियल इस्टेट को बड़ावा देने के लिए काफी हैं। इन स्कीम्स के साथ साथ सरकार किफायती घर बनाने के प्रोजेक्ट के पर भी काम कर रही है जिन पर GST नहीं लगेगा।
भारत में इन्वेस्टमेंट करने के तरीके
आप भारत में रियल इस्टेट में दो प्रकार से इन्वेस्ट कर सकते हैं, पहले रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी और दूसरा कमर्शियल प्रॉपर्टी।
रेजिडेंशियल रियल इस्टेट
रेजिडेंशियल इन्वेस्ट करने के लिए आप 'वैल्यू इन्वेस्टिंग' का सहारा ले सकते हैं जो रेडी टू मूव इन प्रोजेक्ट्स के लिए मौजूद है। पिछले दस सालों में नए शहरों के बसने के शेयर में भारी इज़ाफ़ा हुआ है, जो पहले 23% था अब 29.7% से ज्यादा हो गया है और नयी मेट्रो शहर 35 से 53 हो गए हैं, शहरों में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करना काफी लोकप्रिय हो रहा है। आप अपनी प्रॉपर्टी कोई खरीदने के बाद किराये पर दे सकते हैं या प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ने का लाभ उठा सकते हैं। अरबनाइज़ेशन के चलते शहरों की बढ़ोतरी तय है और 2050 तक ये लगभग 50.3% तक पहुँच जाएगी। ये सब देश के डेवलपमेंट में तो साथ देगा ही परन्तु इस के साथ साथ रेजिडेंशियल सेक्टर में भी प्रॉफिट मार्जिन बड़ा के देगा।
कमर्शियल रियल इस्टेट
ऑफिस और कमर्शियल यूज़ के लिए रिटेल स्पेस की रेंटल वैल्यू पिछले चार साल में बढ़कर 27% पहुँच गयी है। ये सब हायर रिटर्न दे रहे हैं क्योकि ऑफिस के लिए जगह की डिमांड ज्यादा है और सप्लाई कम। 2016 में इस सेक्टर की पूरी सेल्स की कीमत 64 लाख करोड़ से उपर पहुँच गयी थी और 2020 तक ये डबल हो जाएगी। इसके साथ साथ कंस्यूमर के खर्चे भी 231 लाख करोड़ तक बढ़ जायेंगे जो पिछले साल 2017 में सिर्फ 40 लाख करोड़ थे। यह सब मुल्यांकन के कारण कमर्शियल रियल इस्टेट काफी सेफ और प्रॉफिटेबल ऑप्शन है।
IIFL का रियल इस्टेट की तरफ कंट्रीब्यूशन
IIFL AMC और Finance ने 100 से ज्यादा ट्रांसक्शन्स में इन्वेस्ट करा है और लीगल, टेक्निकल और क्रेडिट डिलिजेंस की स्किल्स को बेहतर बना रहा है।
IIFL Finance और Housing Finance पूरे देश में रिहायशी या कमर्शियल जगह कंस्ट्रक्ट करने के लिए वर्किंग कैपिटल देता है।
IIFL रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन का ज़बरदस्त नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ है, इस से 1200 अलग- अलग जगह पर चालीस लाख से ज्यादा कस्टमर्स जुड़े हुए हैं। IIFL रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन क्लाइंट को किसी भी लोकेशन पर प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने में सहायता करता है
IIFL का पूरा लोन AUM आज 3.4 बिलियन डॉलर का है जो की मॉर्गेज फाइनेंस की बुक्स में 11,000 करोड़ रुपए के बराबर है, और ये तेज़ी से बढ़ रहा है। PMAY-CLSS स्कीम के अंतर्गत पिछले दो सालों में रु 450 करोड़ डिस्बर्स करे जा चुके हैं।
इंडियन रियल इस्टेट : सुधाराच्या दिशेवर
भारतामध्ये इंडियन रियल इस्टेट मार्केट सेकंड हाइएस्ट लोकांना नौकरी देते, जेव्हा एग्रिकल्चर सेक्टर नौकरी देण्यात प्रथम स्थानावर आहे. सध्याच्या गवर्मेंट डीसीझन्स आणि डीमोनेटाईझेशनच्या कारणाने रियल इस्टेट मार्केटला धक्का जरी लागला असेल, पण पुढच्या १० वर्षात रियल इस्टेट सेक्टर खूप वेगाने ग्रो करणार आहे. ऑफिस स्पेसची वाढत चाललेली डिमांड आणि कोर्पोरेट एन्वायर्मेंटचा ग्रोथ हे इंडियन रियल इस्टेट मार्केटच्या विकासाचे कारण आहेत. भारतीय लोकांकरिता रियल इस्टेट हि एक सघळ्यात लोकप्रिय इन्वेस्टमेंट करण्याची जागा आहे.
रियल इस्टेटच का ?
स्ट्रोन्ग मार्केट फंडामेंटल्स
केश ट्रान्झेक्षन वर गवर्मेन्टचा कंट्रोल आणि डीमोनेटाईझेशन मुळे मागचे वर्ष ओवरोल वेल्युएशनच्या दृष्टीने रियल इस्टेट मार्केट करिता खूप वाईट गेले, पण फंडामेंटल्स मजबूत असल्याने, प्राईस करेक्शन येण्याच्या कारणाने आणि हाउझिंग सेक्टर मध्ये वाढत चाललेली डिमांड, ह्या कारणाने येणाऱ्या वर्षात रियल इस्टेट सेक्टर भारताच्या इकोनोमिक ग्रोथ मध्ये खूप मोठा भाग भजवेल.
रेग्युलेटरी रीफोर्म्स
एप्रिल २०१७ मध्ये RERA, आणि GST सारखे रेग्युलेटरी रीफोर्म्स आले, आणि ह्या बरोबरच डीमोनेटाईझेशनच्या प्रभावाने ह्या सेक्टर मध्ये जवाबदारी, पारदर्शकता, आणि डीलेवरीच्या नवीन स्टान्डर्डस आकार घेत आहेत. ह्या रीफोर्म्सचा भारतातील रियल इस्टेट सेक्टरला पुनर्जीवित करण्यामध्ये सकारात्मक प्रभाव पडेल, आणि ह्या कारणाने भावांमध्ये करेक्शन येईल आणि त्यामुळे सेक्टरचा इन्वेस्टमेंट पोटेन्शियल वाढेल.
बायर्स मार्केट
डीमोनेटाईझेशनचा रियल इस्टेट बिझनेसवर खूप वाईट असर झाला, आणि त्याकारणाने जमिनीच्या किंमती कमी झाल्या, आणि त्यामुळे नव्या बायर्सला नवी संधी मिळाली. हाऊसिंग सेक्टर खूप मोठे दिस्काऊन्टस देत आहे, आणि होम लोन्सचे इंटरेस्ट रेट्स 'ओल टाईम लो' आहेत. आणि FDI पोलीसिमध्ये सरकारने बदलाव केल्यामुळे वैश्विक इन्वेस्टर्सचा पण इंटरेस्ट वाढत आहे.
गवर्मेंट स्कीम्स
सरकारच्या PMAY – CLSS स्कीम्स आणि 'हाऊसिंग फोर ओल' स्कीमच्या घोषणेने पण रियल इस्टेट सेक्टरला उत्तेजन मिळेल. ह्या स्कीम्सच्या बरोबर सरकारनी अफोर्डेबल हाऊसिंग प्रोजेक्ट्सला GST मधून बाद केले आहे. ह्याचा अर्थ असा होतो कि इन्वेस्टर रियल इस्टेटमध्ये इन्वेस्ट केल्याने खूप मोठ्या प्रमाणात टेक्स वाचवू शकतो.
रियल इस्टेटमध्ये इन्वेस्टमेंटचे एवेन्युझ
तुम्ही रेसिडेन्शियल किंवा कमर्शियल प्रोपर्टीमध्ये इन्वेस्त करून रियल इस्टेट मध्ये इन्वेस्ट करू शकता-
रेसिडेन्शियल रियल इस्टेट
तुम्ही रेसिडेन्शियल रियल इस्टेट मध्ये 'वेल्यू इन्वेस्टीन्ग' स्ट्रेटेजीचा उपयोग करून रेडी टू मूव प्रोजेक्ट्स मध्ये इन्वेस्त करू शकता. आता अर्बन टाऊन २३ % तून २९.७% पोचले आहेत. आणि मागच्या दशकात मेट्रो सिटीझ ३५ मधून ५३ ला पोचले आहेत. ह्याकारणाने आता रेसिडेन्शियल प्रोपर्टीझ मध्ये इन्वेस्ट केल्याने तुमी रेंटल इन्कम कमवू शकता आणि एप्रीसिएषनचा पण लाभ मिळेल. देशात चाललेल्या डेवलपमेंटच्या कारणाने अर्बनाइज़ेशन ग्रोथ २०५० पर्यंत ५०.३% पोचेल आणि म्हणून रेसिडेन्शियल सेक्टर मध्ये प्रोफीट मार्जिन अजून वाढेल.
कमर्शियल रियल इस्टेट
कमर्शियल रियल इस्टेट पाहिले, तर मेट्रोझ मध्ये रीटेईल स्पेसची रेंटल वेल्यू गेल्या ४ वर्षांत २७% ने वाढली आहे. वाढत चाललेली डिमांड आणि कमी सप्लायच्या कारणाने तुम्ही हायर रिटर्न्स मिळवू शकता. २०१६ मध्ये टोटल सेल्स ६४ लाख कोटीला पोचले आहे आणि २०२० पर्यंत डबल होणार आहे. कन्झ्युमर एक्स्पेंडीचर पण जे २०१७ मध्ये, ४० लाख कोटी होते ते वाढून २३१ लाख कोटी पर्यंत पोचेल. ह्या कारणाने रियल इस्टेट एक सेफ आणि फायदेशीर इन्वेस्टमेंट ऑप्शन आहे.
रियल इस्टेट सेक्टरमध्ये IIFL चे योगदान :
IIFL AMC & Finance नी १०० ट्रान्झेक्षन्स मध्ये इन्वेस्ट केले आहे आणि लीगल, टेक्निकल आणि क्रेडीट ड्यू डीलीजन्स करिता स्किल्स डेवलप केली आहे.
IIFL Finance & Housing Finance, देशात कुठेही रेसिडेन्शियल किंवा कमर्शियल प्रोजेक्ट्समध्ये कंसट्रक्शन आणि वर्किंग केपिटलच्या गरजेसाठी फायनान्स प्रोवाईड करते.
IIFL Retail Distribution कडे देशात एक खूप भक्कम नेटवर्क आहे, ज्याच्यात १,२०० लोकेशन्स मध्ये ४०,००,००० कस्टमर्सचा समावेश होतो. येथे काही लोकेशन्स मध्ये असलेली प्रोपर्टी घेण्यात आणि विकण्यात मदत केली जाते.
IIFLचे टोटल लोन्स AUM आता ३.४ बिलियन डॉलर्स एवढे आहे आणि मोर्गेज फायनान्स जी खूप वेगाने वाढत आहे ते आता ११,००० कोटींचे आहे. मागच्या २ वर्षात PMAY – CLSS अंतर्गत ४५० कोटी रुपयाने पण जास्त अमाउंट डीस्बर्स केला आहे.
ભારતીય રીયલ ઍસ્ટેટ માર્કેટ: રીકવરી તરફનાં રસ્તે
ભારતીય રીયલ ઍસ્ટેટ દેશને વ્યવસાય / ઍમ્પ્લોયમેન્ટ આપનારું બીજું મોટું ક્ષેત્ર છે. (ખેતી હજી પણ પ્રથમ નંબરે આવે છે. ડિમોનેટાઇઝેશન અને સરકારના કૈંક નિર્ણયો ને કારણે રીયલ ઍસ્ટેટ ભલે થોડું પાછળ પડ્યું હોય, પણ આવતા 10 વર્ષમાં તે ઇન્ડસ્ટ્રી ફરી પાછી ઉભી થશે. કોર્પોરેટ ની વધતી ડિમાન્ડ થી ઑફિસ ની ડિમાન્ડ વધે છે, અને બધાંજ લોકો ને આ ક્ષેત્ર માં ઈન્વેસ્ટ કરવું છે.
રીયલ ઍસ્ટેટ જ કેમ?
મજબૂત ફંડામેન્ટલ:
ગયા વર્ષના વૅલ્યૂએશન ના આધારે કદાચ રીયલ ઍસ્ટેટ ને તમે ખરાબ કહેશો, પણ તે માત્ર ડિમોનેટાઇઝેશન અને કૅશ ના મામલામાં થતી સરકારી દખલ ની ઇફેક્ટ હતી. મજબૂત ફંડામેન્ટલ, પ્રાઇસ કરેક્શન અને ઘરની વધતી ડિમાન્ડ ને કારણે રીયલ ઍસ્ટેટ ભારતના ગ્રોથ નું કારણ બનશે.
રૅગ્યુલેટરી ફેરફાર:
એપ્રિલ 2017 માં RERA અને GST આવ્યા બાદ અને ડિમોનેટાઇઝેશન ની ઇફેક્ટ થી માર્કેટમાં અકાઉન્ટેબિલિટી, ટ્રાન્સપરન્સી અને ડિલિવરી ના સ્ટાન્ડર્ડ ઘણા સારા થઇ ગયા. સમય સાથે આ ફાયદા પણ વધશે અને આખા રીયલ ઍસ્ટેટ માર્કેટને ફરી થી મજબૂત બનાવશે. તેને લીધે માર્કેટનું ઇન્વેસ્ટમેન્ટ પોટેન્શિયલ પણ વધશે.
ખરીદદારો ને વધુ ફાયદા:
ડિમોનેટાઇઝેશને ભલે થોડો ધંધો તોડ્યો હોય, પણ તેને કારણે જમીન અને ફ્લૅટના ભાવ પણ પડી ગયા. ખરીદદારો માટે આ ખૂબ સરસ ચાન્સ છે. હાઉસિંગ સેગ્મેન્ટમાં ડીસકાઉન્ટ છે અને લોન ના દર બહુ જ નીચા છે. સરકારની FDI પૉલિસિ બદલાય છે અને ઇન્ટરનેશનલ ઇન્વેસ્ટર્સનો રસ ભારતીય રીયલ ઍસ્ટેટમાં પાછો વધી રહ્યો છે.
સરકારી સ્કીમ:
PMAY-CLSS અને 'હાઉસિંગ ફૉર ઓલ' જેવી સ્કીમ દ્વારા પણ રીયલ ઍસ્ટેટ સેક્ટરને નવો પ્રાણ મળ્યો છે. વળી સરકાર ઘણા બધા પ્રોજેક્ટ GST વગરના કરીને ઇન્વેસ્ટરનો ટેક્સ પણ બચાવી રહી છે.
રીયલ ઍસ્ટેટમાં ઇન્વેસ્ટમેન્ટ માટેના ક્ષેત્રો
તમે રેસિડેન્શિયલ અથવા કમર્શિયલ પ્રોપર્ટી માં રોકાણ કરી શકો છો.
રેસિડેન્શિયલ રીયલ ઍસ્ટેટ
જો તમે રેસિડેન્શિયલ પ્રોપર્ટીમાં ઈન્વેસ્ટ કરવા ઇચ્છતા હોવ તો વેલ્યુ ઇન્વેસ્ટિંગ સ્ટ્રેટેજી વાપરી તૈયાર ઘરમાં ઈન્વેસ્ટ કરો. છેલ્લા 10 વર્ષોમાં શહેરીકરણ (અર્બનાઇઝેશન) 23% થી 29.7% થઇ ગયું, જ્યારે મેટ્રો શહેરોની સંખ્યા 35 થી 53 થઇ ગયી. વધતા ભાડા (રૅન્ટ) અને ભાવ વધારા (એપ્રિસિએશન) થી તમે તમારું રિટર્ન સારું કરી શકો છો. દેશના વિકાસ સાથે 2050 સુધી માં શહેરીકરણ 50.3% સુધી પહોંચશે, જેનાથી શહેરોની રેસિડેન્શિયલ પ્રોપેરટીના ભાવ હજી ઉપર જશે.
કમર્શિયલ રીયલ ઍસ્ટેટ
મેટ્રો શહેરની રિટેલ સ્પેસ ની રેન્ટલ વૅલ્યુ છેલ્લા 4 જ વર્ષોમાં 27% વધી ગયી છે. વધતી ડિમાન્ડ અને ઓછા સપ્લાય ને કારણે ભાવો હજી વધશે. ટોટલ વેંચાણ 64 લાખ કરોડનો આંકડો પર કરી ચૂક્યું છે અને 2020 સુધી માં ડબલ થઇ જશે. કસ્ટમર ઍક્સપેન્ડિચર પણ 40 લાખ કરોડથી 231 લાખ કરોડ થઇ જશે. માટે જ તે સેફ અને પ્રોફિટ કરાવી આપનારું ઇન્વેસ્ટમેન્ટ છે.
રીયલ ઍસ્ટેટમાં IIFL નું કોન્ટ્રિબ્યુશન:
IIFL AMC અને ફાઇનાન્સ એ 100 થી વધુ ટ્રાન્સેક્શનમાં ઈન્વેસ્ટ કરી લીગલ, ટેક્નિકલ અને ક્રેડિટ ડ્યુ ડીલિજન્સ સ્કિલ ભેગી કરી છે.
IIFL ફાઇનાન્સ અને હાઉસિંગ ફાઇનાન્સ રેસિડેન્શિયલ અથવા કમર્શિયલ પ્રોપર્ટીના કન્સ્ટ્રક્શન અને વર્કિંગ કૅપિટલ માટે ફાઇનાન્સ આપે છે.
IIFL રિટેલ ડિસ્ટ્રીબ્યુશન દેશભરના પોતાના 1200 લોકશનથી 40 લાખ કસ્ટમરને પ્રોપરટીની લે - વેન્ચમાં સહાય આપે છે.
IIFL નું ટોટલ લોન AUM 3.4 અબજ ડૉલર છે અને PMAY-CLSS સ્કીમ નીચે 450 કરોડ થી વધુ રકમ છેલ્લા બે જ વર્ષોમાં આપવામાં આવ્યા.